Saturday, December 21, 2024
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केजरीवाल द्वारा गुजराती दलित परिवार को भोजन पर बुलाना केवल चुनावी स्टंट : कांग्रेस

  • – दिल्ली के दलित समाज के उत्थान के लिए नही किया कोई काम। – केजरीवाल में हिम्मत है तो दिल्ली की दलित बस्तियों में घुमाये इस परिवार को, ताकि केजरीवाल का दलितों के प्रति झूठा प्रेम इनको पता चल सके।- चौ0 अनिल कुमार

नई दिल्ली, 26 सितम्बर, 2022 : दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल द्वारा गुजरात के दलित परिवार को भोजन पर बुलाकर अवसरवादी राजनीति को नया आयाम देने की कोशिश करके गुजरात के दलित वर्ग को गुमराह कर रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि एक दलित परिवार को गुजरात से दिल्ली हवाई यात्रा द्वारा बुलाकर भोजन कराना और दिल्ली के सरकार के स्कूल और मौहल्ला क्लीनिक का भ्रमण कराकर आखिर साबित क्या करना चाहते हैं? उन्होंने कहा कि दलित का सम्मान करना ठीक है परंतु दलित परिवार को खाना खिलाना ही था, तो उन्हें गुजरात में क्यों नही खिलाया, केजरीवाल का यह चुनावी स्टंट है। गुजरात में चुनाव है इसलिए दलित की याद आ गई, लेकिन दिल्ली में दलित समाज को केजरीवाल पूरी तरह भूल गए हैं।

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि आज केजरीवाल दलित परिवार को भोजन कराकर गुजरात में चुनावी भूमिका तैयार कर रहे है परंतु दिल्ली में दिल्ली सरकार, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद और दिल्ली नगर निगम के हजारों सफाई कर्मचारी, जो वर्षों से स्थायी करने की मांग कर रहे है, उनको स्थायी करने का निर्णय केजरीवाल 8 वर्षों में नही ले सके है और दूसरे राज्यों में ठेकेदारी प्रथा को खत्म करने की बयानबाजी कर रहे हैं। केजरीवाल ने शहीद हुए सफाई कर्मचारी कोरोना यौद्धाओं को एक करोड़ रुपये मुआवजा देने का वायदा आज तक पूरा नही किया। उन्होंने कहा कि केजरीवाल में हिम्मत है तो गुजरात के इस दलित परिवार को दिल्ली की बस्तियों में घुमाये, ताकि केजरीवाल का दलितों के प्रति झूठा प्रेम इस परिवार को भी पता चल सके।

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि केजरीवाल का दलित विरोधी चेहरा दिल्ली नगर निगम वार्ड परिसीमन में हुए दलितों के आरक्षण के बाद उजागर हो गया है। परिसीमन में 46 आरक्षित वार्डों को कम करके 42 करने के बाद अरविन्द केजरीवाल की चुप्पी पूरी तरह दलित विरोधी है। जबकि परिसीमन में एक वार्ड के दलित और अल्पसंख्यक समुदाय को कई वार्डों में विभाजित करके उनकी आवाज दबाने का काम किया है, जिस पर आम आदमी पार्टी की कोई प्रतिक्रिया सामने नही आई है। मतलब आम आदमी पार्टी और भाजपा परिसीमन में हुए दलितों के खिलाफ निर्णय में एकमत हैं।

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल द्वारा दलित प्रेम सिर्फ चुनाव प्रचार का हिस्सा मात्र है क्योंकि यह सभी जानते है कि 2008 में आरक्षण विरोधी आांदोलन कर रही Youth for equality नामक संस्था का अरविन्द केजरीवाल ने समर्थन किया था, और आरक्षण के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते थे, आज चुनावी दौर में दलितों को भोजन कराने का नाटक कर रहे है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने बजट में दलित छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए 5 करोड़ का बजट रखा था परंतु आज तक दलित छात्रों पर एक रुपया भी खर्च नही हुआ।

चौ0 अनिल कुमार ने गुजरात में अरविन्द केजरीवाल के ठेका प्रथा को खत्म करने के बयान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी का सत्ता प्राप्ति के लिए एक ही मकसद है जितना झूठा प्रचार कर सकते हो करो। उन्होंने कहा कि केजरीवाल पूरी तरह झूठ बोल रहे हैं कि दिल्ली और पंजाब में ठेके पर काम कर रहे कर्मचारियों को स्थायी किया है। जबकि सच्चाई यह है कि दिल्ली में लगभग 66,000 अनुबंधित कर्मचारी काम कर रहे जिनमें से एक भी कर्मचारी को स्थायी नही किया गया है और दिल्ली के 22000 गेस्ट टीचर नियमित नौकरी के लिए आज भी संघर्ष कर रहे है तथा 23000 आशा वर्कर भी अपनी स्थायी नौकरी के लिए संघर्षरत है।

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