Saturday, December 21, 2024
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“मुस्कान का व्यापार करना सीखिए, खुद भी खुश रहेंगे और दूसरे लोग भी” : डॉ. रीना

  • हर कोई दूसरे की कमजोरी और दुख जानकार उन पर चोट करने को प्रयासरत रहता है
  • वहीं राघव मुस्कान वाले व्यापार की ओर कदम बढ़ाता जा रहा था
  • निर्धनता के बीच भी उसके चेहरे की मुस्कान देखते ही बनती थी
  • जीवन को लेकर सभी को सकारात्मक सोच रखनी चाहिए  

नई दिल्ली: 22 जुलाई 2022: रामनिवास और रामजानकी ने पता नहीं राघव को क्या शिक्षा दी थी कि वह जीवन का असली अर्थ समझता हो या नहीं पर उसके जीवन की परिभाषा मुस्कान का व्यापार थी। वह लोगों के दुख उकेरने और उनके मन को आहत करने का कार्य कभी नहीं करता था। वह सदैव प्रयासरत रहता था कि वह चेहरे पर मुस्कान बिखेरे। आज जब हर कोई दूसरे की कमजोरी और दुख जानकार उन पर चोट करने को प्रयासरत रहता है वहीं राघव मुस्कान वाले व्यापार की ओर कदम बढ़ाता जा रहा था। “मुस्कान का व्यापार (लघुकथा)” के माध्यम ये डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका) ने लोगों को खुश रहने की प्रेरणा दी है।

एक दिन अचानक राघव को स्टेशन के पास उनके पुराने परिचित मिले। राघव यह बात जानता था कि कुछ समय पूर्व ही उनके जवान बेटे का देहांत हुआ था। राघव का उदार व्यवहार हर किसी को उसके सामने अपने दिल खोलकर रखने को विवश कर देता था। वह जानता था कि उनके परिचित मिलते ही उन्हें अपने दुख के बारे में बताएँगे और व्यर्थ ही दुखी होंगे। उनके मन की व्यथा को जानकर राघव ने बातों का ऐसा जाल बुना जिसमें वह दुख की पटरी पर जाने की बजाए सुख के कुछ क्षण अनुभव करने लगे। कुछ क्षण ही सही पर उनके चेहरे पर मुस्कुराहट दिखाई दी। राघव अपने मन में प्रसन्न था।

कुछ समय पश्चात राघव अपने एक मित्र से मिला जो काफी अमीर था, पर वह सदैव दुखी रहता था और जीवन की कमियों पर ध्यान केंद्रित करता रहता था। राघव ने उसे एक ऐसे अमीर से मिलाया जिसके लिए भरपेट खाना ही भगवान और खुशियों का रूप था। जब उस अमीर व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति की भोजन के लिए मदद की और अतिरिक्त धनराशि लेने पर बल दिया तो उसने प्रसन्न मन से कहा कि आप मेरे लिए परेशान न हो ईश्वर मेरे हर दिन की व्यवस्था करता है। निर्धनता के बीच भी उसके चेहरे की मुस्कान देखते ही बनती थी। जीवन को लेकर इतनी सकारात्मकता रखी जा सकती है यह उस व्यक्ति ने सिखाया। बस यही से उससे शिक्षा लेकर उसके मित्र ने मुस्कान को अपने चेहरे का आभूषण बना लिया। दुनिया के व्यापार से अलग राघव का व्यापार था। उसके व्यापार की अर्निंग तो मीठी मुस्कान थी जिसमे कोई अंधी दौड़ नहीं है और न ही कोई प्रतियोगिता।

इस लघुकथा से यह शिक्षा मिलती है कि जीवन की सार्थकता तो दूसरों के दुख को कम करके मुस्कान बिखरने में निहित है, पर आज हर व्यक्ति दुख पर आघात करने की कोशिश करता है। चेहरे की उदासी को बढ़ाता है। शब्दों का ऐसा जाल बुनता है जो दूसरों के मन को आहत करता है। ईश्वर की बनाई सृष्टि में बहुत सारी विषमता है, पर हम अपने प्रयासों से सकारात्मकता को महत्वपूर्ण बना सकते है और कुछ क्षण के लिए ही खुशहाल जीवन की नींव रख सकते है तो क्यों न राघव की तरह छोटे-छोटे प्रयासों से हम जीवन को खुशहाल बनाने का प्रयास करें। एक बार मुस्कान वाला व्यापार करके देखिये, शायद आपकी जिंदगी बदल जाए।     

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