बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर घरों को रोशनी से जगमगाये: प्रोफेसर हंसराज

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  • संसार के समस्त प्राणियों के कुशल क्षेम, शांति व मानवता के कल्याण के लिए बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर दीये जलाए
  • प्रधानमंत्री से किया निवेदन, देशवासियों से अपील करे कि 7 मई को बुद्ध पूर्णिमा पर घरों में मोमबत्ती व दीये जलाए
  • 5 अप्रैल की भांति अपने घरों, छतों, दरवाजों, बॉलकोनी में मोमबत्ती व दीये जलाने की बात कही
  • वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा भी कहते हैं, इस दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी

नई दिल्ली : फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने 7 मई को बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर सभी देशवासियों से अपील की है कि वे विश्व शांति के प्रतीक, महाकारुणिक तथागत गौतम बुद्ध की जयंती पर सोशल डिस्टेंसिंग प्रोटोकॉल का पालन करते हुए 7 मई को अपने घरों, बॉलकोनी, छतों, दरवाजों पर मोमबत्ती व दीये जलाकर कोरोना महामारी की इस संकट की घड़ी में प्राणियों के कल्याण के लिए मंगलकामनाएं करे।

फोरम के चेयरमैन व दिल्ली विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रोफेसर हंसराज ’सुमन’ ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से अपील की है कि वे संसार के समस्त प्राणियों के कुशल क्षेम, शांति व मानवता के कल्याण के लिए बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर जनता को 5 अप्रैल की भांति अपने घरों, छतों, दरवाजों, बॉलकोनी में मोमबत्ती व दीये जलाने के लिए अपील करे ताकि जल्द ही कोरोना महामारी समाप्त हो और देश में सुख, शांति आएं।

प्रोफेसर सुमन ने बुद्ध पूर्णिमा के महत्त्व को दर्शाते हुए बताया है कि वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा भी कहते हैं। यह गौतम बुद्ध की जयंती है और उनका निर्वाण दिवस भी। इस दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। स्वामी अछूतानंद जी का जन्मदिन भी इसी दिन हुआ था। इसलिए तथागत बुद्ध एवं अछूतानंद के जन्मदिवस पर अपने-अपने घरों को रोशनी से जगमगाये। उन्होंने बताया है कि इस दिन बौद्ध अपने घरों में दीपक जलाते हैं और फूलों से घरों को सजाया जाता है। दुनियाभर से बौद्ध धर्म के अनुयायी बोध गया आते हैं और प्रार्थना करते हैं। बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है, मांसाहार का परहेज होता है क्योंकि बुद्ध पशु हिंसा के विरोधी थे, गरीबों को भोजन व वस्त्र दिए जाते हैं, पक्षियों को पिंजरों से मुक्त किया जाता है ताकि खुले आसमान में स्वतंत्र विचरण कर सके।

प्रोफेसर सुमन ने बताया है कि बुद्ध के पंचशील का पालन करने का संकल्प लिया जाता है। इसमें प्राणी हिंसा ना करना, चोरी न करना, व्याभिचार ना करना, झूठ ना बोलना, नशे का सेवन ना करना आदि है। उन्होंने बताया है कि भारत के अलावा बौद्ध धर्म को मानने वाले देशों में-चीन, जापान, थाईलैंड, बर्मा, श्रीलंका, दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, वियतनाम, ताइवान, कंबोडिया, हांगकांग, मंगोलिया, तिब्बत, भूटान आदि देश बौद्ध धर्म को मानते हैं। इनके करोड़ांे उपासक व उपासिकाएं है। प्रोफेसर सुमन ने कहा है कि प्रधानमंत्री बुद्ध पूर्णिमा ( 7 मई ) के दिन समाचार पत्रों, न्यूज चैनलों, सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों से अपील करे कि 5 अप्रैल की भांति बुद्ध पूर्णिमा के दिन अपने घरों, छतों, दरवाजों व बॉलकोनी में मोमबत्ती व दीये जलाये और बुद्ध के संदेश को– बुद्ध की क्या पहचान, मानव-मानव एक समान, बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय, को घर-घर पहुंचाए। देश में सुख और शांति का प्रसार हो।

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