- महिला एवं बाल विभाग ने पूरक पोषण आहार में परिवर्तन करने का निर्णय लिया
- अगले वर्ष ग्रीष्मकाल से पूरक पोषण आहार में गुड़ के स्थान पर मिश्री बांटी जाएगी
- यह व्यवस्था वर्तमान पूरक पोषण आहार सूची के प्रभावी रहने तक रहेगी।
- बच्चे गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं हैं योजना में शामिल
नई दिल्ली : दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विभाग ने बच्चों और गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को वितरित किए जाने वाले पूरक पोषण आहार की सूची में परिवर्तन करने का नीतिगत निर्णय लिया है। इस निर्णय के तहत अगले वर्ष ग्रीष्मकाल के समय (मई, जून और जुलाई) में गुड़ के स्थान पर मिश्री का वितरण किया जाएगा। यह निर्णय गर्मी के मौसम में आहार वितरण सामग्री में गुड़ के पिघलने के तथ्य को ध्यान में रखते हुए लिया गया। इससे गुड़ के पिघलने की स्थिति में कुछ समय पश्चात बैक्टीरिया से संक्रमित होने की संभावना समाप्त हो गई है। अब गुड़ के स्थान पर मिश्री की व्यवस्था करने से एक सूखा और स्वस्थ विकल्प उपलब्ध हो गया है। यह व्यवस्था वर्तमान पूरक पोषण आहार सूची के प्रभावी रहने तक रहेगी। महिला और बाल विभाग आवश्यकता के अनुसार, मिश्री की मात्रा निश्चित करेगा। दिल्ली के महिला एवं बाल विकास मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने आज यह जानकारी दी।
कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष मार्च के पहले सप्ताह में दिल्ली के आगंनवाड़ी केंद्रों के कार्य को अस्थाई रूप से रोक दिया गया था। फिर 19 मार्च से पंजीकृत लाभार्थियों (जिसमें बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं सम्मिलित है) को राजधानी में पूरक पोषण आहार (पंजीरी, पौष्टिक लड्डू) की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने का कार्य दोबारा आरंभ कर दिया गया था। हर लाभार्थी के लिए पंजीरी, पौष्टिक लड्डू की मात्रा भी समान रूप से निश्चित की गई। जिसके तहत प्रत्येक लाभार्थी के लिए 140 ग्राम पंजीरी, 110 ग्राम लड्डू में 500 कैलोरी और 12-15 ग्राम प्रोटीन निहित था।
दिल्ली के महिला एवं बाल विकास मंत्री ने बताया कि पूरक पोषण आहार की सूची में 20 मई, 2020 को संशोधन किया गया। जिसके परिणाम स्वरूप विभिन्न श्रेणी के लाभार्थियों को उनकी पात्रता के अनुसार टीएचआर (टेक होम राशन) की मौजूदा प्रणाली के तहत पंजीरी और पौष्टिक लड्डू के स्थान पर गेहूं का दलिया, कच्चा काला चना, गुड़ और भुना हुआ काला चना उपलब्ध करवाया गया। सभी आंगनवाड़ी केंद्रों ने अपने-अपने क्षेत्र में इस सामग्री को संबंधित लाभार्थियों के घर तक पहुंचाया। इस योजना से राजधानी में लगभग पाँच लाख लाभार्थियों को लाभ मिला।