- चुनाव नजदीक आते ही केजरीवाल और उनके मंत्रियों को मां यमुना याद आती हैं
- केजरीवाल सरकार फैक्ट्रियों से निकलने वाले गंदे और जहरीले पानी की रोकथाम में नाकाम रही
- स्वच्छ यमुना का सपना जहरीले झाग से भरा हुआ है
- केजरीवाल सरकार ने मां यमुना की सफाई पर करोड़ों रुपये भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिए
- केजरीवाल सरकार सात सालों में मां यमुना में नालों से गिरते गंदे पानी तक को रोकने में नाकाम रही है
नई दिल्ली: दिल्ली में जब-जब चुनाव नजदीक आते हैं तो केजरीवाल और उनके मंत्रियों को यमुना सफाई की याद आती है। राजेन्द्र नगर का उपचुनाव 23 को है इसलिए अभी से केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने यमुना सफाई को लेकर कोरी बयानबाजी शुरु कर दी है। दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने केजरीवाल सरकार पर झूठे वायदें और जनता को गुमराह करने का उक्त आरोप लगाते हुए कहा कि यमुना कोई चुनावी मुद्दा नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति की पहचान है और उसपर राजनीति करना केजरीवाल की मानसिकता को दर्शाता है।
अध्यक्ष गुप्ता ने कहा कि साल 2015 में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पांच साल के भीतर यमुना नदी को साफ करने का वादा दिल्लीवालों से किया था। केजरीवाल ने अपने कैबिनेट सहयोगियों और दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर यमुना आरती में भाग लेते हुए कुदेशिया घाट से दिल्ली वालों को स्वच्छ यमुना का सपना दिखाया था। लेकिन आज भी स्वच्छ यमुना का सपना जहरीले झाग से भरा हुआ है। इतने सालों से केजरीवाल सरकार द्वारा ना कोई एसटीपी प्लांट लगाया गया और ना ही फैक्ट्रियों से निकलने वाले गंदे और जहरीले पानी की रोकथाम का कोई उपाय किया गया। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने मां यमुना की सफाई पर करोड़ों रुपये भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिए।
आदेश गुप्ता ने कहा कि शुक्रवार को उपराज्यपाल से केजरीवाल मिलकर यमुना में पानी छोड़ने की बात कर रहे हैं लेकिन उन्हें सफाई की बात करनी चाहिए जो कि इस समय सबसे बड़ी समस्या है। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा यमुना सफाई के लिए दिए गए 2419 करोड़ रुपये को अपने चेहरे को चमकाने में खर्च कर डालें।
आदेश गुप्ता ने कहा कि यहां तक कि डीपीसीसी ने यमुना के प्रदूषित होने का मुख्य कारण बिना शोधन वाला अपशिष्ट जल और सीईटीपी से निकलने वाले गंदे पानी की खराब गुणवत्ता तथा सीवेज जल शोधन संयंत्र को बताया है। उन्होंने कहा कि यमुना सफाई को लेकर मनीष सिसोदिया ने साल 2021-22 के बजट में 2,074 करोड़ रुपये का प्रवधान भी तय कर दिया है, लेकिन उस बजट का उपयोग अभी तक धरातल पर होता हुआ नहीं दिख रहा है।
आदेश गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने साल 2018-21 के दौरान यानि सिर्फ 3 सालों में दरियागंज के डॉ. सेन नाले की सफाई पर ही 200 करोड़ रुपये का खर्च दिखाया है, लेकिन वास्तविकता देखते ही बनती है। इस जगह यमुना गंदे नाले का एक रुप ले चुकी है और इसमें इतनी गंदगी है कि पास खड़े होना भी मुश्किल हो जाता है। कोरोनाकाल में वर्ष 2020-2021 मे केजरीवाल सरकार ने 152 करोड़ रुपये यमुना की सफाई में खर्च दिखाया है जो कि सफेद झूठ है क्योंकि यमुना नदी की स्थिति पहले से बदतर हुई है।