- दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता एवं नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने उपराज्यपाल से मिलकर दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों को जल्द से जल्द फंड जारी करवाने हेतु प्रभावी कदम उठाने का अनुरोध किया
- दिल्ली सरकार की अनदेखी के कारण दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों के शिक्षण और प्रशिक्षण कर्मचारियों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है
- शिक्षा के बजट पर सबसे ज्यादा खर्च करने का दावा करने वाली केजरीवाल सरकार शिक्षक और कर्मचारियों का वेतन समय पर नहीं दे पा रही है
- दिल्ली सरकार एजुकेशन मॉडल के विज्ञापन और प्रचार-प्रसार में बेहिसाब खर्च करती रही हैं, लेकिन कॉलेजों के वेतन और बुनियादी सुविधाओं को अनदेखा कर रही है
नई दिल्ली : दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है, क्योंकि दिल्ली सरकार ने इन कॉलेजों को दिए जाने वाले फंड को रोक दिया है। इस समस्या को लेकर गुरूवार को दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता एवं दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल से मिले और दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों को जल्द से जल्द फंड जारी करवाने हेतु प्रभावी कदम उठाने के लिए ज्ञापन सौंपा एवं चर्चा की।
आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार शिक्षकों एवं कर्मचारियों के हित को नजरअंदाज कर रही है। कोरोना महामारी के बीच इन कॉलेजों के शिक्षक व कर्मचारी अपनी बचत से या फिर औरों से आर्थिक सहायता मांग कर अपना गुजारा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बेहद दुखद है कि शिक्षा के बजट पर सबसे ज्यादा खर्च करने का दावा करने वाली केजरीवाल सरकार शिक्षक और कर्मचारियों का वेतन समय पर नहीं दे पा रही है। दिल्ली सरकार एजुकेशन मॉडल के विज्ञापन और प्रचार-प्रसार में बेहिसाब खर्च करती रही है, लेकिन कॉलेजों के वेतन और बुनियादी सुविधाओं को अनदेखा कर रही है।
गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार भी इन कॉलेजों के शिक्षक व कर्मचारियों की समस्याओं से अवगत है, लेकिन इसे नजरअंदाज कर रही है। शिक्षण संगठनों ने कई बार इस समस्या को लेकर आंदोलन भी किया, दिल्ली सरकार को पत्र भी लिखे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कोई भी उचित कार्यवाही नहीं की है। उन्होंने बताया कि हमने उपराज्यपाल से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है ताकि जल्द से जल्द इन कॉलेजों को ग्रांट मिलने से शिक्षकों और कर्मचारियों को उनका वेतन मिलेगा।