- शिक्षा निदेशक एवं उच्च शिक्षा निदेशक ने पदभार संभाला, पूर्व निदेशकों की विदाई
- शिक्षा का काम चुनौतीपूर्ण और बेहद जरूरी
- शिक्षा पर ध्यान नहीं देना देश की सबसे बड़ी गलती, शिक्षा को मुख्यधारा में शामिल करना जरूरी
- डाटा समझने की उत्सुकता शिक्षा विभाग के सभी लोगों में हो। इससे अपना सिस्टम बेहतर बनाने में मदद मिलेगी
- ई-लर्निंग में दिल्ली अन्य राज्यों से बहुत आगे
- 98 प्रतिशत रिजल्ट देने वाले शिक्षकों ने कोरोना के दौर में अन्य कार्यों में भी किया योगदान
- चमचमाते स्कूलों को देखकर हमेशा बिनय भूषण के योगदान की याद आएगी
नई दिल्ली: दिल्ली के नए शिक्षा निदेशक उदित प्रकाश राय ने आज पदभार संभाला। नए उच्च एवं तकनीकी शिक्षा निदेशक अजीमुल हक ने भी पदभार संभाल लिया है। दोनों निवर्तमान अधिकारी क्रमशः बिनय भूषण एवं एसएस गिल को आज गुरूवार को विदाई भी दी गई। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शिक्षा विकास के लिए दोनों निवर्तमान अधिकारियों से जुड़ी स्मृतियों को साझा किया। सिसोदिया ने कहा कि आज दिल्ली के सरकारी स्कूलों का रिजल्ट 98 फीसदी तक पहुंच गया है। बिनय भूषण का इस बदलाव में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। स्कूलों के चमचमाते भवनों को देखते ही हमें हमेशा उनकी याद आएगी।
सिसोदिया ने उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के विकास में गिल के योगदान की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमारे स्कूलों से हर साल लगभग ढाई लाख स्टूडेंट्स निकलते हैं। पहले इनमें से मात्र 90 हजार बच्चों को 12 वीं के बाद उच्च कक्षाओं में एडमिशन मिल पाता था। लेकिन गिल के प्रयासों से अब 1 लाख 30 हजार बच्चों का एडमिशन हो रहा है। सिसोदिया ने कहा कि हमारा सपना है कि हमारे स्कूलों से निकलने वाले सारे ढाई लाख बच्चों का अच्छे संस्थानों में एडमिशन हो। गिल ने इसकी बुनियाद रख दी है। अब नए निदेशक हक साहब को इस पर इमारत खड़ी करनी है।
सिसोदिया ने पांच साल की शिक्षा विकास की स्मृतियों को ताजा करते हुए कई भावुक पलों की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रारंभ में बिनय जी ने आकर शिक्षा संबंधी कार्यों पर चर्चा की तो मैंने उनसे पूछा कि सरकार से आपकी क्या अपेक्षा है, यह स्पष्ट बताएं। फंड की व्यवस्था करना मंत्रियों और सरकार का दायित्व है। सिसोदिया के अनुसार उस दौरान खर्च का हिसाब लगाने पर राज्य के कुल बजट का 25 फीसदी सिर्फ शिक्षा पर लगाने की जरूरत सामने आई। जबकि उस वक्त तक शिक्षा पर मात्र 12 फीसदी खर्च होता था। लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 25 प्रतिशत खर्च पर सहमति देते हुए कहा कि शिक्षा ही हमारा सपना है।
सिसोदिया ने कहा कि टीम एजुुकेशन ने एक परिवार की तरह काम किया है। अब तक हमने संख्यात्मक रूप से काफी सफलता हासिल कर ली है। अब हमें गुणात्मक तौर पर भी आगे बढ़ने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे। अब शिक्षा विभाग तथा उच्च शिक्षा विभाग के साथ ऐसा तालमेल बने, जिससे एक दूसरे की जरूरत का पता चले। उच्च शिक्षा निदेशक को मालूम हो कि आज पहली कक्षा में कितने बच्चे हैं, जिनके लिए 12 साल बाद उच्च शिक्षा में कितनी सीटों की जरूरत होगी। सिसोदिया ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को अपने जिले के डेटा को अच्छी तरह समझने और उसके अनुरूप प्लानिंग का सुझाव दिया। उन्होंने शिक्षा विभाग में भी एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट को बढ़ावा देने की जरूरत बताई।
उन्होंने कहा कि ई-लर्निंग में दिल्ली अन्य राज्यों से बहुत आगे है। हमें देखना है कि हर बच्चे तक हम पहुंच सकें। अगर आपके जिले में 300 बच्चे छूट गए हों, तो रात-दिन आपको फिक्र होनी चाहिये कि उनकी तलाश कैसे हो। उन्होंने कहा कि 98 प्रतिशत रिजल्ट देने वाले शिक्षकों ने कोरोना के दौर में अन्य कार्यों में भी महत्वपूर्ण योगदान किया है। इसके लिए हमें टीम एजुकेशन पर गर्व है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का काम चुनौतीपूर्ण और बेहद जरूरी है। शिक्षा पर ध्यान नहीं देना देश की सबसे बड़ी गलती रही है। अब शिक्षा को देश की मुख्यधारा में शामिल करना और सर्वोच्च प्राथमिकता देना जरूरी है।