- निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड के फंड का दुरुपयोग कर केजरीवाल सरकार ने गरीब मजदूरों का हक छीनने का काम किया है
- दिल्ली भाजपा उपराज्यपाल से यह मांग करती है कि दिल्ली भवन और अन्य निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड के 5 वर्षों के खातों की सीबीआई जांच कराएं
नई दिल्ली : दिल्ली सरकार द्वारा प्रवासी और निर्माण श्रमिकों के लिए बनाए गए कोष में 3,200 करोड़ रूपए की कथित हेराफेरी पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार द्वारा भेजी गई मदद से वंचित रह कर केजरीवाल सरकार ने प्रवासी मजदूरों को पलायन करने पर मजबूर कर दिया और वहीं अब कैग की रिपोर्ट भी यह साबित कर रही है कि केजरीवाल सरकार मजदूर विरोधी है और गत वर्षो में श्रमिक कल्याण बोर्ड के पैसे का दुरुपयोग कर गरीब मजदूरों का हक छीनने का काम किया है।
गुप्ता ने कहा कि कैग की रिपोर्ट पर गौर करें तो यह बड़े घोटाले का संकेत है। हम अप्रैल माह के शुरू से ही लगातार कह रहे थे कि दिल्ली सरकार की अन्न वितरण योजना हो या फिर मजदूरों को नकद राशि वितरण की, सभी में घोटाला किया गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली भाजपा शीघ्र ही दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल से मिलेगी और यह मांग करेगी कि दिल्ली भवन और अन्य निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड के गत 5 वर्ष के खातों की सीबीआई जांच हो और इस पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।
गुप्ता ने कहा कि कैग रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली भवन और अन्य निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड का फंड गरीब मजदूरों के उत्थान के लिए उपयोग होना था लेकिन दिल्ली सरकार ने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को सरकार ने भर्ती किया और मजदूरों के फंड को अपने कार्यकर्ताओं के बीच बांटने का काम किया। फंड को दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरित करने, समय पर टैक्स नहीं जमा करने व उस फंड का इस्तेमाल श्रम विभाग के कर्मचारियों के वेतन आदि के मद में खर्च करने की वजह से प्रवासी मजदूरों को उनका हक नहीं मिल सका, जबकि इस फंड का उपयोग कोरोना महामारी के दौर में मजदूरों के कल्याण, उन्हें सुविधाएं मुहैया कराने के लिए खर्च किया जाना चाहिए था।
गुप्ता ने बताया कि गत दिनों कैग में के द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिपोर्ट दी गई है जिसमें जानकारी अनुसार 2016-18 के मध्य में कामगार कल्याण बोर्ड के कोष से लगभग 3200 करोड़ रुपये के कथित हेराफेरी की पुष्टि की गई है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016- 17 में 186 करोड़ रुपए और वर्ष 2017- 18 में 200 करोड़ रुपए जमा कराए गए थे लेकिन सही ढंग से पंजीयन नहीं होने की वजह से मजदूरों को योजना का लाभ नहीं मिला, वहीं वर्ष 2006-07 का इनकम टैक्स रिटर्न समय पर नहीं भरने की वजह से 7 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। उसपर से 433.17 लाख रुपए का ब्याज एवं 275.69 लाख रुपए दिए गए आय की जानकारी निरस्त करने के लिए देने पड़े। आयकर रिटर्न भरने में देरी की वजह से बोर्ड को 4893.79 लाख रुपए बतौर ब्याज देना पड़ा, 2007-08 के बाद से इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरा गया जिसके कारण बोर्ड को 9807 लाख रुपए देना पड़ा। इस पूरे घोटाले की नैतिक जिम्मेदारी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बनती है। इस मामले से न सिर्फ एक आर्थिक घोटाला सामने आया है बल्कि केजरीवाल सराकार का प्रवासी मजदूर विरोधी चेहरा भी उजागर हुआ है।