- केजरीवाल प्रतिदिन प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दिल्ली के लोगों के सामने एक नया झूठ परोस देते हैं
- अब दिल्ली सरकार बताएं कि कोर्ट और प्रेस कॉन्फ्रेंस में से कौन आंकड़ा सही है
- 7 अप्रैल से आज तक कोरोना मरीजों की संख्या 27 गुना ज्यादा बढ़ गई है लेकिन उनके लिए बेड नहीं बढ़े
- सरकारी और गैर सरकारी आंकड़ों में 717 मरीजों की जानकारी शामिल नहीं है
नई दिल्ली: कोरोना महामारी से निपटने के लिए दिल्ली सरकार की फेल स्वास्थ्य व्यवस्था के कारण बढ़ती कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या को लेकर दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी व रोहिणी से भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए आज प्रदेश कार्यालय प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया। इस अवसर पर करावल नगर विधायक मोहन सिंह बिष्ट, दिल्ली भाजपा प्रदेश मीडिया प्रमुख अशोक गोयल देवराहा उपस्थित थे।
नेता प्रतिपक्ष बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की विफलताओं पर पर्दा डालने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल प्रतिदिन प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दिल्ली के लोगों के सामने एक नया झूठ परोस देते हैं। केजरीवाल झूठ की मशीन बन गए हैं। 7 अप्रैल को जब कोरोना मरीजों की संख्या महज 525 थी तब मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह ऐलान किया था कि दिल्ली सरकार ने 30,000 बेड का इंतजाम कर लिया है और यह दावा किया था कि सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों कोरोना मरीजों के इलाज के लिए 2950 बेड उपलब्ध है और जैसे-जैसे मरीजों की संख्या बढ़ेगी बेड की संख्या भी बढ़ा दी जाएगी। 7 अप्रैल से आज तक कोरोना मरीजों की संख्या 27 गुना ज्यादा बढ़ गई है लेकिन उनके लिए बेड नहीं बढ़े। एक और दिल्ली सरकार कोर्ट में खुद कहती है कि उनके पास सरकारी और निजी अस्पतालों में मिलाकर 3150 बेड की व्यवस्था है लेकिन आज ही प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकिन सवाल यह बताते हैं कि उनके पास लगभग 4500 बेड है, अब केजरीवाल ही बताएं कि कौन सा आंकड़ा सही है।
बिधूड़ी ने कहा कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने जो भी दावे किए हैं वह खोखले साबित हुए। दिल्ली सरकार के रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में कोरोना वायरस के कुल 7006 एक्टिव मामले हैं, जिनमें से कोविड अस्पतालों में कुल 2269, कोविड हेल्थ सेंटर में 116, केयर सेंटर में 483, होम आइसोलेशन में 3621 लेकिन इन आंकड़ों में 717 मरीजों की जानकारी शामिल नहीं है। केजरीवाल जवाब दें कि दिल्ली सरकार आंकड़ों का खेल कब बंद करेगी? कब तक दिल्ली सरकार दिल्ली के लोगों से कोरोना संक्रमित के आंकड़ों को लेकर फरेब करती रहेगी?
विधायक विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है और वास्तविकता यह है कि दिल्ली के लोगों का दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था से विश्वास समाप्त हो चुका। दिल्ली सरकार बस एक ही काम कर रही है कि कोरोना मरीजों को बिना किसी स्वास्थ सुविधा के जबरन घरों में बंद रहने का आदेश दे रही है। क्या गारंटी है कि कोरोना से संक्रमित मरीज लोगों के बीच में नहीं जाएंगे जबकि अधिकांश मामले अनधिकृत बस्तियों, झुग्गी बस्ती में आ रहे हैं। यह बहुत ही चिंता का विषय है कि कंटेनमेंट जोन में भी अधिकांश ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर बड़ी आबादी रहती है जिसका मतलब यह है कि दिल्ली कोरोना संक्रमण के कम्युनिटी स्प्रेड की ओर जा रहा है और दिल्ली सरकार की लापरवाही कम्युनिटी स्प्रेड को बढ़ा रही है। दिल्ली में औसतन प्रतिदिन लगभग 550 कोरोना के मरीज सामने आ रहे हैं लेकिन ठीक होनेवालों का औसत 100 मरीज प्रतिदिन है। हाई कोर्ट में भी दिल्ली सरकार ने बताया कि उनके पास सिर्फ 3150 बेड है जबकि कुछ दिन पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री ने दावा किया था कि उनके पास 30000 बेड की व्यवस्था है। एक तरफ दिल्ली सरकार लोगों में यह भ्रम पैदा करती है कि स्वास्थ्य विभाग में कोरोना से लड़ने के लिए सभी पुख्ता इंतजाम किए हुए हैं और वास्तविकता में जिस प्रकार से कोरोना मरीज बढ़ रहे हैं उनके लिए बेड की कोई व्यवस्था नहीं है।
विधायक गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियों को छिपाने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री ने 117 प्राइवेट अस्पतालों के लिए तुगलकी फरमान जारी कर दिया कि वह कोरोना मरीजों के लिए कम से कम 20 फीसदी बेड जरूर रखे और ऐसा न करने पर उन पर कार्रवाई होगी। दिल्ली सरकार ने बिना यह सुनिश्चित किए कि प्राइवेट अस्पतालों या नर्सिंग होम में कोरोना मरीजों के लिए समुचित इलाज की व्यवस्था है या नहीं, वह कोरोना वार्ड बन सकता है या नहीं अपना आदेश बस उन अस्पतालों पर थोप दिया। समय रहते दिल्ली सरकार कोरोना मरीजों के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में कोई व्यवस्था नहीं की गई। दिल्ली सरकार झूठ के पुलिंदे पर चलने वाली सरकार बन चुकी है जिसके वादों का वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है। दिल्ली के लोग जब अस्पतालों में कोरोनावायरस के लिए जाते हैं वह खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं।
विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने कहा कि कोरोना टेस्टिंग को लेकर दिल्ली सरकार की व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है जिससे संक्रमण का खतरा और बढ़ता जा रहा है। जिस तरह से संक्रमित की संभावना वाले लोग बढ़ रहे हैं, उस हिसाब से अस्पताल की व्यवस्था ही तैयार नहीं है। मुख्यमंत्री केजरीवाल कई बार यह दावे किए कि दिल्ली में बड़े पैमाने पर 1 लाख रैपिंग टेस्टिंग की जाएगी लेकिन हकीकत ठीक इसके विपरीत है। टेस्टिंग ना होने के कारण दिल्ली के लोग परेशान है। संकट के समय में मेरा दिल्ली सरकार से आग्रह है कि कोरोना वायरस मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा बेड और टेस्टिंग के सुविधा सुनिश्चित करें।