- दिल्ली सरकार ने अपने 12 कॉलेजों को ग्रांट रिलीज की
- दिल्ली सरकार से शत प्रतिशत ग्रांट लेने वाले कॉलेजों में नहीं है गवर्निग बॉडी
- वित्त पोषित 12 कॉलेजों के शिक्षकों और कर्मचारियों ने लॉक डाउन के चलते झेला आर्थिक संकट
- दिल्ली सरकार के प्रति शिक्षकों के रोष को देखकर उन्हें शुक्रवार को अनुदान प्राप्त कॉलेजों को ग्रांट रिलीज की
नई दिल्ली: दिल्ली विश्ववविद्यालय से सम्बद्ध दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों को दिल्ली सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने पहली इंस्टालमेंट वित्त वर्ष-2020-21 के लिए 18 करोड़ पचहत्तर लाख रुपये की राशि को रिलीज कर दिया गया। इन कॉलेजों में से अधिकांश कॉलेजों के शिक्षकों को मार्च अप्रैल माह का वेतन नहीं मिला है। सरकार के इन 12 कॉलेजों में 50 से 60 फीसदी एडहॉक टीचर्स, गेस्ट टीचर्स व कंट्रक्चुअल कर्मचारी है। दिल्ली सरकार के कॉलेजों की ग्रांट रिलीज कराने की मांग को लेकर डूटा के आह्वान पर 28 अप्रैल को शिक्षकों ने घरों में रहकर भूख हड़ताल की थीं। फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के पदाधिकारियों ने इनका समर्थन करते हुए भूख हड़ताल पर बैठे थे।
प्रो. सुमन ने बताया है कि दिल्ली सरकार ने पिछले कई सालों से अपने अंतर्गत आने वाले पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों को कभी भी समय पर सैलरी नहीं भेजी है। हद तो तब हो गई जब देशभर में, खासकर दिल्ली जैसे महानगर में कोरोना महामारी फैली हुई है और शिक्षकों पर आर्थिक संकट छाया हो। प्रो. सुमन का कहना है कि पिछले 14 महीनों से दिल्ली सरकार के 28 कॉलेजों में सरकार की गवर्निंग बॉडी नहीं है। उनका कहना है कि अगली इंस्टालमेंट तभी दी जाएगी जब इन कॉलेजों में सरकार की गवर्निंग बॉडी बने।
उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह सबसे पहले 28 कॉलेजों के प्रिंसिपलों की ऑन लाइन, गूगल, जूम के माध्यम से मीटिंग ले और उन्हें गवर्निंग बॉडी बनाने के निर्देश दे ताकि लंबे समय से रुकी हुई शिक्षकों व कर्मचारियों की स्थायी नियुक्ति के साथ-साथ प्रमोशन, पेंशन मिल सके। फोरम के चेयरमैन व दिल्ली यूनिवर्सिटी की एकेडेमिक काउंसिल के पूर्व सदस्य प्रोफेसर हंसराज सुमन ने यह जानकारी देते हुए बताया है कि दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों के शिक्षकों और कर्मचारियों के सामने लॉक डाउन के चलते आर्थिक संकट से जूझ रहे थे। इन शिक्षकों और कर्मचारियों में ज्यादातर लोग किराए के मकानों में रहते हैं, अपनी ईएमआई, गाड़ी की किस्त आदि समय पर ना भरने की वजह से तनाव में है। उन्होंने बताया है कि पिछले कई महीनों में इन कॉलेजों की ग्रांट रिलीज कराने की मांग को लेकर डूटा विधानसभा पर कई बार धरना प्रदर्शन कर चुके थे।
दिल्ली सरकार के प्रति शिक्षकों के रोष को देखकर उन्हें आज अनुदान प्राप्त कॉलेजों को ग्रांट रिलीज की। कॉलेजों को ग्रांट रिलीज होने पर शिक्षकों, कर्मचारियों में खुशी का माहौल कतई नहीं है। उनका कहना है कि लॉक डाउन में भी घरों से छात्रों को ऑन लाइन पढ़ा रहे हैं,उन्हें अध्ययन सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं लेकिन फिर भी सरकार उन्हें समय पर ग्रांट रिलीज नहीं करती, उनके साथ सौतेला व्यवहार कब तक? प्रो. सुमन ने बताया है कि पहली इंस्टालमेंट के अंतर्गत पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों को वित्तीय वर्ष-2020-21 में इस प्रकार 18 करोड़ 75 लाख रुपये की राशि अलॉटमेंट की है–
आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज– 2.33
अदिति कॉलेज —- 1.87
भगिनी निवेदिता— 1.30
भाष्कराचार्य कॉलेज— 1.43
भीमराव अंबेडकर कॉलेज– 2.18
दीनदयाल कॉलेज— 2.33
इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स कॉलेज– 1.39
केशव महाविद्यालय— 1.50
महर्षि वाल्मीकि एप्लाइड—- 0
महाराजा अग्रसेन कॉलेज– 1.95
शहीद राजगुरू कॉलेज— 1.59
शहीद सुखदेव कॉलेज— 0.88
——- ————
18.75
प्रोफेसर सुमन का कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा दी गई यह राशि पर्याप्त नहीं है। इससे पहले भी जो राशि दिल्ली सरकार ने कॉलेजों को दी थी उसमें फरवरी मार्च का वेतन ही शिक्षकों और कर्मचारियों को दिया गया। मार्च के बाद नए बजट सत्र में कॉलेजों को और ग्रांट रिलीज करने का आश्वासन दिया गया था लेकिन हाल ही में जो ग्रांट रिलीज हुई है उससे एक महीने का वेतन भी संभव नहीं है। उनका कहना है कि सरकार एक साथ 4 या 6 महीने की ग्रांट क्यों नहीं रिलीज करती? शिक्षकों और कर्मचारियों का काफी समय ग्रांट रिलीज में ही व्यर्थ हो जाता है।