Tuesday, July 23, 2024
HomeUncategorisedसातवें वेतन आयोग के अनुसार मिले कर्मचारियों को मानदेय: प्रोफेसर हंसराज सुमन

सातवें वेतन आयोग के अनुसार मिले कर्मचारियों को मानदेय: प्रोफेसर हंसराज सुमन

  • डीयू कर्मचारियों के मानदेय में विसंगति, एक ही विश्वविद्यालय में अलग-अलग नियम क्यों ?
  • नॉन कॉलेजिएट के शिक्षकों के बाद कर्मचारियों ने मानदेय पर विरोध जताया

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉन कॉलेजिएट शिक्षकों की सैलरी (मानदेय) को लेकर विवाद सुलझा ही नहीं था कि अब कर्मचारियों का मुद्दा सामने आया है उनका कहना है कि स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) और इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) में कार्य करने वालों को नॉन कॉलेजिएट के कर्मचारियों से कहीं ज्यादा मासिक वेतन दिया जा रहा है जबकि उनसे ज्यादा काम करते हैं फिर वेतन कम क्यों ? एक ही विश्वविद्यालय में रेट को लेकर यह विसंगति क्यों ? साथ ही अलग-अलग नियम लागू क्यों किए जा रहे हैं ? कई कॉलेजों के कर्मचारियों ने इस तरह के भेदभाव को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि इतने कम मानदेय में काम करना संभव नहीं है। नॉन कॉलेजिएट वीमेंस एजुकेशन बोर्ड श्री अरबिंदो कॉलेज के सेंटर प्रभारी प्रोफेसर हंसराज सुमन ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में नियमित छात्रों की भांति नॉन कॉलेजिएट, स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल ) व इग्नू आदि में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की कक्षाएं शनिवार, रविवार और छुट्टी वाले दिन लगती है। इनमें नॉन कॉलेजिएट के -26 सेंटर, एसओएल -25 से अधिक, और इग्नू के लगभग -15 सेंटर चल रहे हैं। उन्होंने बताया है कि इन सेंटरों पर काम करने वाले कर्मचारी उसी कॉलेज के होते हैं जबकि शिक्षकों की नियुक्ति संबंधित बोर्ड सेंटर के निदेशकों के वहां से होती है।

प्रोफेसर सुमन ने बताया है कि नॉन कॉलेजिएट में कार्य करने वाले असिस्टेंट को प्रति माह-3200 रुपये, जेएसीटी-2400 रुपये, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी-1700 रुपये और टीचर इंचार्ज (प्रभारी)को -4000 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं, उसमें भी 30 फीसदी काट लिया जाता है। इसी तरह स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) में असिस्टेंट -1500 प्रति दिन, जेएसीटी-1000 प्रति दिन, चतुर्थ श्रेणी को-600 प्रति दिन। इसके अलावा यहां पर इंचार्ज प्रिंसिपल होते हैं उन्हें 25 हजार रुपये प्रति माह दिया जाता है। उन्होंने बताया है कि इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) डीयू का हिस्सा नहीं है इनकी क्लॉसेज व सेंटर डीयू के कॉलेजों में खुले हुए हैं। यहां असिस्टेंट को-3960 रुपये प्रति माह, अटेंडेंट-2650 प्रति माह, कॉडिनेटर-6600 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं, यहां डिप्टी कोडिनेटर भी होता है।

प्रोफेसर सुमन ने बताया है कि एसओएल का असिस्टेंट जो कि नॉन टीचिंग में आता है नॉन कॉलेजिएट के टीचर इंचार्ज से कहीं ज्यादा मानदेय ले रहा है।इसी तरह से इग्नू के कोडिनेटर को -6600 और एसओएल के इंचार्ज को -25000 दिए जाते हैं।एक ही विश्वविद्यालय में कर्मचारियों व शिक्षकों के मानदेय में कितना अंतर है यह देखा जा सकता है। उन्होंनें ने आगे बताया है कि इनमें काम करने कर्मचारियों को दिया जाने वाला प्रति माह का वेतन तीनों सेंटर बोर्ड़ का अलग-अलग है जबकि वे एक ही विश्वविद्यालय के कर्मचारी है। इनके वेतन में कई तरह की विसंगतियां है। इसी तरह से इनमें कार्य करने वाले प्रभारी शिक्षकों की सैलरी (मानदेय ) में भी अनेक विसंगति है। उनका कहना है कि एक ही विश्वविद्यालय में कर्मचारियों और शिक्षकों के अलग-अलग मानदेय क्यों ?जबकि सातवें वेतन आयोग में बढ़ोतरी हुई थी लेकिन नॉन कॉलेजिएट के कर्मचारियों को आज भी पुराने रेट से ही मानदेय दिया जा रहा है उसी तरह से उनके शिक्षक प्रभारियों को भी ? यह भेदभाव क्यों ?

प्रोफेसर ने बताया है कि उनके यहाँ कर्मचारियों का कहना है कि नॉन कॉलेजिएट में एडमिशन का कार्य,आई-कार्ड, लाइब्रेरी कार्ड, एग्जामिनेशन फॉर्म से लेकर परीक्षा कराना आदि सभी कार्य करते हैं जबकि एसओएल और इग्नू में केवल कक्षाओं की देखरेख करना है बाकी कार्य यूनिवर्सिटी में होते हैं। उसके बावजूद नॉन कॉलेजिएट में काम करने वाले कर्मचारियों को इतना कम मानदेय (सैलरी ) क्यों? उनका गुस्सा फूट रहा है उन्होंने धमकी दी हैं कि इतने कम रेट पर वे कार्य नहीं करेंगे। प्रोफेसर सुमन ने कर्मचारियों को एसओएल के रेट को नॉन कॉलेजिएट में भी लागू करने के लिए निदेशक से कई बार मांग की है। इस संदर्भ में उन्हें सकारात्मक उत्तर तो मिले लेकिन दो साल से किसी तरह की उनके मानदेय में बढ़ोतरी नहीं हुई। भविष्य में जब भी मीटिंग होगी इस मुद्दे को चेयरमैन व निदेशक के सामने उठाया जाएगा।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments