Wednesday, April 17, 2024
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अपनी नीतिगत अंतर्दृष्टि वाले नेता हैं मोदी : एस जयशंकर

  • डीयू में  ‘मोदी@20: ड्रीम्स मीट डिलीवरी’  पर चर्चा में केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रखे विचार
  • पूरी तरह से रिसर्च आधारित चर्चाओं में विश्वास करते हैं पीएम मोदी
  • गुजरात को आने वाली पीढ़ी के लिए एक राज्य बनाने की दृष्टि से काम कर रहे थे मोदी

नई दिल्ली, 5 जुलाई 2022: दिल्ली विश्वविद्यालय ने  ‘मोदी@20: ड्रीम्स मीट डिलीवरी’   पुस्तक पर एक विशेष वार्तालाप का आयोजन किया। मंगलवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस रीगल लॉज के कन्वेंशन हाल में आयोजित इस कार्यक्रम में केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने की। विश्वविद्यालय द्वारा शताब्दी वर्ष समारोह के दौरान आयोजित होने वाले आयोजनों के तहत ही इस कार्यक्रम का आयोजन किया। इस दौरान उक्त पुस्तक पर चर्चा करते हुए मुख्य अतिथि एस. जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी नीतिगत अंतर्दृष्टि वाले नेता हैं। मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में कहा कि यह पुस्तक मौजूदा प्रधानमंत्री की जीवनी नहीं है बल्कि एक ऐसी असाधारण किताब है जिसे मौजूदा कैबिनेट मंत्री और मौजूदा एनएसए से लेकर सभी क्षेत्रों के लोगों ने एक साथ मिलकर लिखा है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में एक मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक शासन की यात्रा को आगे बढ़ाने वाले नेतृत्व की एक पीढ़ी को कवर किया गया है। इस दौरान जयशंकर ने इस पुस्तक में संग्रहित न केवल उनके अपने स्वयं के लेखन से, बल्कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और एनएसए अजीत डोभाल के लेखों के अंशों पर भी चर्चा की। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के अलावा डीन ऑफ कालजेज़ प्रो. बलराम पाणी, डीयू साउथ दिल्ली कैंपस के निदेशक प्रो. प्रकाश सिंह, डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. के. रत्नाबली, डीयू रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता, जेएनयू  के कुलपति प्रो. शांतिश्री पंडित, एआईसीटीई सलाहकार डॉ ममता अग्रवाल और डीयू पीआरओ अनूप लाठर आदि उपस्थित थे।

  • पूरी तरह से रिसर्च आधारित चर्चाओं में विश्वास करते हैं पीएम मोदी: जयशंकर
    पुस्तक में अपने स्वयं के लेखों के अंशों के माध्यम से जयशंकर ने कहा कि मोदी नई सोच, नए विचारों और सुधारों के युग को सिस्टम में लाए हैं। उन्होंने कहा कि जब मोदी को अंतरराष्ट्रीय संबंधों में नौसिखिया माना जाता था, तब उन्होंने 2014 में अपने शपथ ग्रहण समारोह में ही पड़ोसी देशों के वैश्विक नेताओं को अतिथि के रूप में आमंत्रित करके दुनिया को संदेश दे दिया था। इससे विदेशी संबंधों और कूटनीति के एक नए युग की शुरुआत हुई। उन्होंने कहा कि मोदी अपनी खुद की नीतिगत अंतर्दृष्टि वाले नेता हैं और अनजान रास्ते पर चलने से कभी नहीं डरते। इसके अलावा वह पूरी तरह से रिसर्च आधारित चर्चाओं में विश्वास करते हैं इसलिए उनके साथ किसी भी मसले पर उचित बैकराउंड रिसर्च के बिना चर्चा करना आसान नहीं है।
  • पूरी तरह से रिसर्च आधारित चर्चाओं में विश्वास करते हैं पीएम मोदी: जयशंकर
    पुस्तक में अपने स्वयं के लेखों के अंशों के माध्यम से जयशंकर ने कहा कि मोदी नई सोच, नए विचारों और सुधारों के युग को सिस्टम में लाए हैं। उन्होंने कहा कि जब मोदी को अंतरराष्ट्रीय संबंधों में नौसिखिया माना जाता था, तब उन्होंने 2014 में अपने शपथ ग्रहण समारोह में ही पड़ोसी देशों के वैश्विक नेताओं को अतिथि के रूप में आमंत्रित करके दुनिया को संदेश दे दिया था। इससे विदेशी संबंधों और कूटनीति के एक नए युग की शुरुआत हुई। उन्होंने कहा कि मोदी अपनी खुद की नीतिगत अंतर्दृष्टि वाले नेता हैं और अनजान रास्ते पर चलने से कभी नहीं डरते। इसके अलावा वह पूरी तरह से रिसर्च आधारित चर्चाओं में विश्वास करते हैं इसलिए उनके साथ किसी भी मसले पर उचित बैकराउंड रिसर्च के बिना चर्चा करना आसान नहीं है।

  • एक नेता और एक करुणामयी व्यक्ति के रूप नजर आते हैं पीएम मोदी: प्रो. योगेश
    कार्यक्रम की शुरुआत में डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने एस जयशंकर और अन्य अतिथियों का स्वागत किया।   उन्होंने अपने संबोधन में मोदी के साथ अपनी व्यक्तिगत बातचीत के ऐसे किस्से भी सुनाए जिनमें वह एक नेता और एक करुणामयी व्यक्ति के रूप नजर आते हैं। उन्होंने कहा कि शासन चलाना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन पीएम मोदी ने यह साबित कर दिया है कि अगर नीति और नियत अच्छी हो तो उत्कृष्ट शासन, निर्णायक नेतृत्व और करुणामयी नीतियों से देश के नागरिकों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। कुलपति ने कहा कि समाज और देश की व्यापक भलाई ही उन्हें और उनकी नीतियों को संचालित करती है। राष्ट्रीय नेता के सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण कार्य के रूप में, राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने और हमारी सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए, मोदी एक अनुकरणीय तरीके से काम कर रहे हैं।

  • पुस्तक के कथानक के साथ पीएम मोदी का व्यक्तित्व बदल जाता है
    मुख्य अतिथि एस. जयशंकर ने कहा कि पुस्तक के कथानक के साथ पीएम मोदी का व्यक्तित्व बदल जाता है- आज उन्होंने जो अंश प्रस्तुत किए हैं, वे उनके व्यक्तित्व का एक पक्ष दिखाएंगे और यदि वह पीवी सिंधु या सुधा मूर्ति के लेखन से पढ़ेंगे तो परिप्रेक्ष्य पूरी तरह से बदल जाएगा। जयशंकर ने अमित शाह के शब्दों का सहारा लेते हुए कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं को तब राष्ट्रीय नेता माना जाता था, लेकिन आजादी के बाद के वर्षों में नेता की वह परिभाषा कमजोर होती गई। अब पीएम मोदी हैं जो एक राष्ट्रीय नेता का उदाहरण बने हैं। इसके अलावा, गठबंधन में, उन्होंने अमित शाह के विचारों को प्रतिध्वनित करते हुए कहा कि यह राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं का समझौता है और भारतीय लोकतंत्र पर एक स्थायी अभिशाप है।

  • गुजरात को आने वाली पीढ़ी के लिए एक राज्य बनाने की दृष्टि से काम कर रहे थे मोदी
    गुजरात में मोदीजी के काम को एक प्रतिबिंब के रूप में लेते हुए उन्होंने कहा कि एक मुख्यमंत्री के रूप में मोदी चुनावी चक्र के अनुसार चुनाव को ध्यान में रख कर काम नहीं कर रहे थे, बल्कि गुजरात को अगले दशक और आने वाली पीढ़ी के लिए एक राज्य बनाने की दृष्टि से काम कर रहे थे। जयशंकर ने अमित शाह और अपने व्यक्तिगत अनुभवों का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया के किसी भी हिस्से में जब भी कोई भारतीय संकट में होता है तो उसके लिए पीएम मोदी सुलभ और भरोसेमंद रहे। यह माना जाता था कि वह परिवार के मुखिया और भरोसेमंद बड़े भाई की तरह हैं, जिसमें भारत की आशाएं और आकांक्षाएं निहित हैं। वह दुनिया भर में भारत और भारतीयों के प्रहरी बन गए हैं और अब मोदी पर भरोसा का युग शुरू हो गया है।

  • पूरी तरह से रिसर्च आधारित चर्चाओं में विश्वास करते हैं पीएम मोदी
    पुस्तक में अपने स्वयं के लेखों के अंशों के माध्यम से जयशंकर ने कहा कि मोदी नई सोच, नए विचारों और सुधारों के युग को सिस्टम में लाए हैं। उन्होंने कहा कि जब मोदी को अंतरराष्ट्रीय संबंधों में नौसिखिया माना जाता था, तब उन्होंने 2014 में अपने शपथ ग्रहण समारोह में ही पड़ोसी देशों के वैश्विक नेताओं को अतिथि के रूप में आमंत्रित करके दुनिया को संदेश दे दिया था। इससे विदेशी संबंधों और कूटनीति के एक नए युग की शुरुआत हुई। उन्होंने कहा कि मोदी अपनी खुद की नीतिगत अंतर्दृष्टि वाले नेता हैं और अनजान रास्ते पर चलने से कभी नहीं डरते। इसके अलावा वह पूरी तरह से रिसर्च आधारित चर्चाओं में विश्वास करते हैं इसलिए उनके साथ किसी भी मसले पर उचित बैकराउंड रिसर्च के बिना चर्चा करना आसान नहीं है।
  • मोदी जी आतंकवाद को हल्के में नहीं लेते थे
    जयशंकर ने कहा कि 2011 में, जब मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, चीन में तत्कालीन राजदूत के रूप में अपनी मोदी के साथ पहली बातचीत को याद करते हुए जयशंकर ने कहा कि तब भी वह आतंकवाद को न तो खुद हल्के में लेते थे और न दूसरों द्वारा इसे सामान्य रूप में लेने का समर्थन करते थे। उन्होंने सभी भारतीयों को अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में एक स्वर में बोलने का समर्थन किया, खासकर भारत के विरोधियों के साथ। वह मानते हैं कि आंतरिक मतभेदों को कभी भी बाहरी दुनिया के सामने उजागर नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस विचार ने हाल के दिनों में भारत को अपनी पाकिस्तान नीति तैयार करने में मदद की है।
  • सभी लोग पुस्तक को जरूर पढ़े
    संबोधन के अंत में जयशंकर ने सभी भारतीयों से आग्रह किया कि इस पुस्तक को जरूर पढ़ें ताकि सभी लोग एक ऐसे व्यक्ति के बारे में जान सकें जोकि जो भारत को अगले स्तर पर ले जाने वाले हैं। इससे जानकारी मिलेगी कि दुनिया उसे कैसे देखती है और कैसे वह विश्व मंच पर विशाल रूप धारण कर रहा है। केवल उनकी नीतियां और सुधार ही उन्हें परिभाषित नहीं करते हैं, बल्कि व्यक्तिगत रूप से उनका सम्मान वास्तव में भारतीयता को दर्शाता है। केंद्रीय मंत्री द्वारा संबोधन के पश्चात सदन को चर्चा के लिए खोल दिया गया और प्रश्नौत्री सत्र के दौरान संकाय सदस्यों और विद्यार्थियों ने जयशंकर से अनेकों प्रश्न पूछे।
  • मोदी ने वित्तीय क्षेत्र में राष्ट्र की भलाई के लिए सकारात्मक काम किया
    कार्यक्रम की शुरुआत में दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की निदेशक प्रो. पम्मी दुआ ने किताब पर आर्थिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए मोदी की आर्थिक नीतियों और वित्तीय सुधारों पर विस्तार से बात रखी। विकास के गुजरात मॉडल से शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी ने तत्कालीन राज्य की जीडीपी को देश के ऊपरी छठे स्थान से तीसरे स्थान पर ले जाने का काम किया। उन्होंने बताया कि कैसे एक दूरदर्शी और एक आर्थिक, सामाजिक सुधारवादी के रूप में मोदी ने देश के आर्थिक और वित्तीय क्षेत्र में राष्ट्र की भलाई के लिए सकारात्मक काम किया। उन्होंने कहा कि कृषि पर ध्यान केंद्रित करने से लेकर विनिर्माण सेवाओं तक आसान पूंजी प्रवाह द्वारा वित्तीय समावेशन को बढ़ाने और उद्यमिता और महिला सशक्तिकरण के लिए प्रोत्साहन, डिजिटल क्रांति के माध्यम से सिस्टम को सक्षम करने, विभिन्न प्रमुख कार्यक्रमों के माध्यम से सभी क्षेत्रों और सभी क्षेत्रों में सुधार  का युग आया है।
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