Saturday, July 27, 2024
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मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं को साथ लेकर चलने की है जरूरत : तिवारी

– हिंदी जल्द ही व्यावसायिक शिक्षा की दिशा एवं दशा बदलेगी
– डीयू: राजभाषा महोत्सव 2022 का हुआ समापन उत्सव

नई दिल्ली, 22 सितंबर 2022:

मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं को महत्व देने के साथ ही इन सभी भाषाओं को साथ लेकर चलने की जरूरत है। हर भाषा के शब्दों को शब्दकोश में स्थान देने की आवश्यकता है, हर दिन हिंदी दिवस बने। दिल्ली विश्वविद्यालय के स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज में राजभाषा महोत्सव 2022 के समापन उत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में यहां पहुंचे भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने बुधवार को ये उद्गार व्यक्त किए। वहीं, समारोह के विशिष्ट अतिथि, विश्व हिंदी साहित्य परिषद के अध्यक्ष एवं भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रकाशित प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका “गगनांचल” के संपादक आशीष कंधवे ने कहा कि हिंदी भाषा लगातार देश या विदेश में अपना विस्तार कर रही है।  उन्होंने कहा कि आज हिंदी तेज़ी से रोज़गार की भी भाषा बनाने लगी हैं। हर क्षेत्र में हिंदी भाषी के लिए अनंत संभावनाएं हैं। हिंदी जल्द ही व्यावसायिक शिक्षा की दिशा एवं दशा बदलेगी।

कॉलेज के प्राचार्य प्रो. प्रवीण गर्ग ने कहा कि हिंदी वैश्विक भाषा के रूप में इसलिए स्थापित हुई है क्योंकि वैश्वीकरण के दौर में यह बाजार की मांग बनकर उभरी है। हिंदी में रोजगार के तमाम अवसर उपलब्ध हैं। संयुक्त राष्ट्र, संसद से घर घर में हिन्दी का उपयोग बढ़ा है। विश्व में 7,000 से अधिक भाषाएँ हैं जिन में से केवल भारत की 1650 मातृभाषायें हैं। इन भाषाएँ के मध्य हिंदी एवं हिंदी समूह भाषियों ने अलग पहचान बनाई है। हिंदी विभाग प्रभारी डॉ ऐश्वर्या झा ने स्वागत भाषण में कहा कि संख्या के आधार पर विश्व में हिंदी भाषा, अंग्रेजी, मैंड्रेन भाषा के बाद तीसरे स्थान पर है। हिंदी संयुक्त राष्ट्र संघ सातवीं आधिकारिक भाषा बनने की सबसे बड़ी दावेदार है।

सुबह के सत्र में हिंदी सेवी एवं प्रसिद्ध लेखक विचारक अनंत विजय ‘हिंदी रूकल आज और कल विषय पर व्याख्यान दिया। अनंत विजय ने अपने व्याख्यान में कहा कि हिंदी भाषा बाजार की भाषा बन चुकी है केवल इसे हिंदी बाजार में प्रभाव की भाषा बनने की जरूरत है। हिंदी को अपने व्यवहार की भाषा बनाने की जरूरत है। भाषा बहता नीर के सिद्धांत का पालन करते हिंदी तमाम अवरोधों, बाधाओं को पार करते हुए आज अपनी पहुंच का दायरा बढ़ा रही है।कॉलेज के हिंदी विभाग प्रभारी डॉ ऐश्वर्या झा ने स्वागत भाषण में कहा कि संख्या के आधार पर विश्व में हिंदी भाषा, अंग्रेजी, मैंड्रेन भाषा के बाद तीसरे स्थान पर है। हिंदी संयुक्त राष्ट्र संघ सातवीं आधिकारिक भाषा बनने की सबसे बड़ी दावेदार है। हिंदी की विकास यात्रा में बाजार, इंटरनेट और सूचना क्रांति विशेष कर मोबाइल फ़ोन ने हिंदी को तकनीकी भाषा बनाने में सहायता की है। इक्कीसवीं सदी की हिंदी न सिर्फ साहित्य भाषा है, शिक्षा की भाषा है, मनोरंजन, विज्ञापन की भाषा है बल्कि विज्ञान, तकनीक एवं रोज़गार की अनंत संभावनाओं से भरी हुई भाषा है। 

स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज द्वारा आयोजित राजभाषा समारोह 2022 की परिकल्पना में प्राचार्य प्रो प्रवीण गर्ग एवं हिंदी विभाग प्रभारी डॉ ऐश्वर्या झा की अहम् भूमिका रही। इस अवसर पर शिक्षक एवं छात्रों ने संकल्प लिया कि राजभाषा के संवर्द्धन के प्रति सदैव ऊर्जावान और निरंतर प्रयासरत रहेंगे। समारोह में शिक्षक, विद्यार्थियों ने भी विचार रखे। इसमें डॉ. प्रतिभा राणा, डॉ. मनीष कुमार प्रमुख थीं। पुरे समारोह के संचालन में संयोजक डॉ संतोष राय, शीतल साहू ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

डॉ. मनीष कुमार ने बताया कि सप्ताह भर चले समारोह की शुरूआत हिंदी दिवस 14 सितंबर के अवसर किया गया था। कार्यक्रम में व्याख्यान, हस्ताक्षर अभियान, राजभाषा प्रतिज्ञा के साथ साथ कई अंतर महाविद्यालय एवं महाविद्यालय स्तर की प्रतियोगिता ( आशुभाषण, निबंध लेखन, स्वरचित कविता-पाठ प्रतियोगिता ) का सफ़ल आयोजन किया गया। 

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