Tuesday, July 23, 2024
Homeअंतराष्ट्रीयहेल्प डेस्क बना कर डीसील से संबंधित प्रक्रिया पर काम तिनों निगम...

हेल्प डेस्क बना कर डीसील से संबंधित प्रक्रिया पर काम तिनों निगम शुरू करेंगे : आदेश गुप्ता

  • भाजपा न्याय संगत रूप से आगे बढ़ने में विश्वास रखती है, निगरानी समिति का अब कोई औचित्य नहीं है
  • जब कोई सरकार चुनी जाती है तो वह जनता की समस्याओं को सुलझाती है, लेकिन केजरीवाल सरकार ने समस्याओं को और उलझाने का काम किया
  • यह लड़ाई दिल्ली के लाखों लोगों की समस्या की लड़ाई थी जिसे भाजपा ने अंतिम लक्ष्य तक पहुंचाया-मनोज तिवारी
  • दिल्ली के लोगों के हितों में दिल्ली भाजपा ने विपक्ष में रहकर जो काम किया, वह आम आदमी पार्टी या कांग्रेस ने सत्ता में रहकर भी क्यों नहीं किया
  • दिल्ली भाजपा यह मांग करती है कि जमा कराए गए एक लाख रुपए वापस किए जाएं और बिना किसी शुल्क के लोगों को न्याय मिले

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने निगरानी समिति द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर की गई सीलिंग को अनुचित ठहरा दिया जिसके बाद सील किये गये मकानों का डी-सीलिंग का रास्ता साफ हो गया है। उच्चतम न्यायालय के इस फैसले का स्वागत करते हुए आज शुक्रवार को दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता एवं दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व सांसद मनोज तिवारी ने प्रदेश कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस अवसर पर उत्तरी नगर निगम महापौर जयप्रकाश, दक्षिणी नगर निगम महापौर अनामिका मिथलेश, पूर्वी दिल्ली नगर निगम महापौर निर्मल जैन व प्रदेश मीडिया प्रमुख अशोक गोयल देवराहा उपस्थित थे। इस अवसर पर एक वीडियो भी दिखाई गई जिसमें सांसद मनोज तिवारी गोकुलपुरी के घर की डीसीलिंग करते नजर आ रहे हैं, जो यह दर्शा रहा है कि कैसे सड़क पर उतरकर दिल्ली भाजपा ने डीसीलिंग के खिलाफ लड़ाई लड़ी।

अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली भाजपा शुरुआत से ही निगरानी समिति द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण पूर्वक कार्यों का विरोध करती आई है। इसी संदर्भ में मनोज तिवारी ने सितंबर 2018 में सील किए हुए घर को डी-सील किया, ऐसे समय में जब दिल्ली भाजपा लोगों की समस्याओं के लिए लड़ रही थी, तब केजरीवाल सरकार नकारात्मक राजनीति कर रही थी। उन्होंने कहा कि कई बार निगमों ने निगरानी समिति द्वारा तानाशाही रवैया से कराए जा रहे कामों को रुकवाया था। निगरानी समिति का काम था कि रिहायशी क्षेत्रों के वाणिज्यकरण को रोके, सरकारी जमीनों के दुरुपयोग की जांच करें, लेकिन सरकारी जमीनों पर हो रहे अतिक्रमण पर निगरानी समिति ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसलिए मनोज तिवारी जी और तीनों नगर निगमों ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जिसका परिणाम है कि आज उच्चतम न्यायालय ने भी दिल्ली के लोगों के हितों में फैसला दिया है।

आदेश गुप्ता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले से करीब 10,000 प्रॉपर्टी धारकों में से लगभग 6000 रिहायशी प्रॉपर्टी को डी-सील का लाभ मिलेगा। अधिकारियों के साथ बैठकर इस पर चर्चा की जायेगी और हेल्प डेस्क बना कर डीसील से संबंधित प्रक्रिया पर काम शुरू किया जायेगा। निगरानी समिति का अब कोई औचित्य नहीं है और अब नगर निगम डीसीलिंग का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार इस मुद्दे को भाजपा के विरोध में उपयोग करना चाहती थी, लेकिन आज उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि दिल्ली भाजपा लोगों के हितों की वास्तविक लड़ाई लड़ती रही है और आगे भी लड़ेगी।

सांसद तिवारी ने कहा कि दिल्ली में सीलिंग की समस्या पिछले 10-12 वर्षों से रही है, सीलिंग में हो रही मनमानी से जनता त्रस्त थी। उच्चतम न्यायालय के निर्णय ने उन लोगों को राहत देने का काम किया है। उन्होंने बताया कि निगरानी समिति की मनमानी के खिलाफ लड़ते वक्त कई बार मुझे डराया जाता था, ऐसा लगता था कि राजनीतिक कैरियर समाप्त हो जाएगा, लेकिन यह लड़ाई जारी रही क्योंकि भाजपा न्याय संगत रूप से आगे बढ़ने में विश्वास रखती है। जब कोई सरकार चुनी जाती है तो वह जनता की समस्याओं को सुलझाती है, लेकिन केजरीवाल सरकार ने समस्याओं को उलझाने का काम किया। भाजपा को बदनाम करने के लिए आम आदमी पार्टी ने सड़कों पर पोस्टर लगवाए। कांग्रेस के नेता भी नकारात्मक टिप्पणियां करते थे। उन्होंने कहा कि हमने संसद में भी इस मुद्दे को उठाया है और संसद में भी संबंधित विभागों को निर्देश दिया है। हमने सीलिंग की लड़ाई लड़ी, उच्चतम न्यायालय के समक्ष दिल्ली के लोगों की समस्याओं को रखा, परिणाम स्वरूप उच्चतम न्यायालय ने भी निगरानी समिति द्वारा रिहायशी क्षेत्रों में किए गए सीलिंग को अनुचित ठहराया है।

सांसद तिवारी ने तंज कसते हुए कहा कि दिल्ली के लोगों के हितों में दिल्ली भाजपा ने विपक्ष में रहकर जो काम किया, वह आम आदमी पार्टी या कांग्रेस ने सत्ता में रहकर भी क्यों नहीं किया? वास्तविकता में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस सिर्फ राजनीति करना जानते हैं, जनता की समस्याओं से उनका कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने कहा कि निगरानी समिति ने बहुत ही अन्याय पूर्ण कदम उठाया कि घर, दुकानों को सील कर दिया और न्याय दिलाने लिए एक लाख रुपए जमा करवाए। इससे यह जाहिर है कि निगरानी समिति का विचार सभी के लिए समान नहीं था और वह किसी के दबाव में काम कर रही थी क्योंकि यह सब उस समय हुआ जब विधानसभा चुनाव नजदीक थे। उन्होंने कहा था दिल्ली भाजपा यह मांग करती है कि जमा कराए गए एक लाख रुपए वापस किए जाएं और बिना किसी शुल्क के लोगों को न्याय मिले।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments