Tuesday, July 23, 2024
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दिल्ली अध्यापक परिषद राष्ट्र निर्माण के लिए शिक्षकों को अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक करनेवाला संगठन है

  • सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा ने दिया संबोधन
  • शिक्षा निदेशक जरूरी बैठक के चलते नहीं दे पाए पूरा समय  
  • राष्ट्र निर्माण में शिक्षक निभा रहें हैं महत्वपूर्ण भूमिका
  • ऑनलाइन कर्तव्य बोध दिवस का हुआ आयोजन

नई दिल्ली : दिल्ली अध्यापक परिषद राष्ट्र निर्माण के लिए शिक्षकों को अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक करनेवाला संगठन है। शिक्षक दिव्य है, भव्य है, युनिक है। भगवान ने शिक्षकों को विशेष कार्य के लिए बनाया है। दिल्ली अध्यापक परिषद महिला संवर्ग द्वारा ऑनलाइन कर्तव्य बोध दिवस का आयोजन के मौके पर यह संबोधन सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा ने दिया। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि शिक्षक बच्चों की भावना समझे, उन्हें समय दे, सम्मान दे तो बच्चे आगे बढेंगे और अच्छे नागरिक के रूप में राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभायेंगे। उन्होंने 106 वर्षीय कर्णाटक की रहने वाली थिमक्का, निकुम्भ सर, संतोष यादव, अरुणिमा सिन्हा, विवेकानंद सहित अनेक महान लोगों से शिक्षकों को प्रेरणा लेने की अपील की। उन्होंने शिक्षिकाओं से बच्चों के चरित्र निर्माण करने का आह्वान करते हुए कहा कि हम लगातार अध्ययन करें, अपडेट रहें और राष्ट्र निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहें। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ सुदेश शर्मा द्वारा दीप प्रज्वलन से हुई। सरस्वती वंदन इंदू राठी ने किया। परिषद के अध्यक्ष वेद प्रकाश ने सभी आगंतुकों का परिचय एवं स्वागत किया।

दिल्ली अध्यापक परिषद के प्रचार मंत्री अनिल कुमार चौधरी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि कार्यक्रम में वक्ता के रूप में दिल्ली अध्यापक परिषद के संरक्षक जयभगवान गोयल ने शिक्षकों को ड्यूटी और कर्तव्य में अंतर समझाया। उन्होंने कहा कि ड्यूटी वह है जो हमें करनी ही है क्योंकि उसके बदले हमें वेतन मिलता है। बच्चों को पढ़ाना, होमवर्क जांचना आदि हमारी ड्यूटी है। लेकिन इसमें यदि अध्यात्म जुड़ जाए तो वह कर्तव्य बन जाता है। कर्तव्य में हमारी भावना, समर्पण, सेवा भाव आदि जुड़ जाता है। उन्होंने कहा कि शिक्षार्थी है, तो शिक्षक है तभी शिक्षा विभाग व शिक्षा मंत्रालय है। शिक्षकों को चाहिए कि बच्चों में कर्त्तव्य की भावना भरें। अधिकारों की पूर्ति स्वयं हो जाएगी क्योंकि अधिकार और कर्तव्य एक दूसरे के पूरक हैं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शिक्षा निदेशक उदय प्रकाश राय की दिल्ली के मुख्य सचिव के साथ एक अति आवश्यक बैठक आ जाने के कारण पूरा समय कार्यक्रम में नहीं रह पाए, उन्होंने मैसेज के माध्यम से परिषद द्वारा किए जा रहे इस तरह के सकारात्मक प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम में उपस्थित नहीं रह पाने की मजबूरी बताते हुए उन्होंने दिल्ली अध्यापक परिषद से इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन के लिए धन्यवाद भी किया।

कार्यक्रम में संगठन परिचय देते हुए डॉ सुदेश ने कहा कि दिल्ली अध्यापक परिषद, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ से संबद्ध है। दिल्ली के सभी स्कूलों के शिक्षकों तथा शिक्षा विभाग से जुड़े सभी व्यक्तियों का संगठन है। परिषद का उद्देश्य है राष्ट्रहित, छात्रहित और अंत में शिक्षक हित। परिषद को इन उद्देश्यों पर कार्य करते हुए 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं। सरोज शर्मा ने अध्यक्षीय उद्बोधन में सभी अतिथियों व शिक्षकों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का समापन विजय लक्ष्मी द्वारा कल्याण मंत्र से हुआ। कार्यक्रम में अखिल भारतीए राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की महिला प्रभारी प्रियंवदा, अतिरिक्त महामंत्री डॉ निर्मला यादव, महिला सचिव गीता भट्ट सहित अनेक महिला कार्यकर्ता, कई प्रधानाचार्य और लगभग 300 शिक्षिकाएं उपस्थित थीं।

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