Thursday, March 28, 2024
Homeताजा खबरेंलोकतंत्र को सशक्त बनाने में मीडिया का बड़ा योगदान : प्रो. योगेश...

लोकतंत्र को सशक्त बनाने में मीडिया का बड़ा योगदान : प्रो. योगेश सिंह

– दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज़्म द्वारा “मीडिया एंड अकाउंटेबिल्टी” पर आयोजित सेमिनार में बोले कुलपति
– सोशल मीडिया में अकाउंटेबिल्टी की कमी नज़र आती है
– पत्रकारिता का काम लोगों की चेतना को जगाए रखना है

नई दिल्ली, 9 नवंबर 2022: दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि लोकतंत्र को सशक्त बनाने में मीडिया का बड़ा योगदान है। प्रो. योगेश सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ जर्नलिज़्म द्वारा आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे। गौरतलब है कि डीयू के शताब्दी वर्ष समारोह के आयोजनों की कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार के. आर. मलकानी के जन्म दिवस शताब्दी समारोह के अवसर पर बुधवार को “मीडिया एंड अकाउंटेबिल्टी” विषय पर इस सेमिनार का आयोजन किया गया था। सेमिनार के दौरान कुलपति ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि इस सेमिनार के माध्यम से पत्रकारिता के विद्यार्थियों को वरिष्ठ पत्रकार के. आर. मलकानी के बारे में गहनता से जानने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि मलकानी ऐसे पत्रकार थे जो एक साथ हिन्दी और अंग्रेजी समाचार पत्रों के संपादक रहे। मीडिया के विद्यार्थियों को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।

कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि आज के दौर में भी प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया की अकाउंटेबिल्टी बहुत है, लेकिन सोशल मीडिया में अकाउंटेबिल्टी की कमी नज़र आती है। उन्होंने कहा कि समय के साथ धीरे-धीरे यह भी स्ट्रीम लाइन हो जाएगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो ऐसी चीजें बहुत दिनों तक नहीं चला करती। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्यातिथि व डीयू की एक्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य राजकुमार भाटिया ने अपने संबोधन में बताया कि वरिष्ठ पत्रकार के. आर. मलकानी के साथ उनका बहुत लंबा संबंध रहा है। जब मलकानी आपातकाल के दौरान जेल में रहे तो वह स्वयं भी उनके साथ 19 महीने जेल में रहे। सेमिनार के मुख्य वक्ता, प्रसार भारती बोर्ड के सदस्य अशोक कुमार टंडन ने के. आर. मलकानी के लेखों के उदाहरणों द्वारा पत्रकारिता के मानदंडों पर प्रकाश डाला। कुलपति ने कहा कि पत्रकार किसी से घबराते नहीं हैं, लेकिन वह भी देश के लोगों से घबराते हैं। पत्रकार देश के प्रति जवाबदेह हैं। वह खुद की क्रेडिबिलिटी से घबराते हैं। लोकतंत्र में बहुत से सिस्टम कमजोर हुए हैं, लेकिन पत्रकारिता कमजोर नहीं हुई है। पत्रकारिता का काम लोगों की चेतना को जगाए रखना है। उन्होंने मीडिया के विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे निर्भीक और सच्चे पत्रकार बनें। यह समाज सेवा का काम है और बहुत ही अच्छा काम है।

– वक्ताओं ने के. आर. मलकानी के जीवन पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्यातिथि व डीयू की एक्सक्यूटिव काउंसिल के सदस्य राजकुमार भाटिया ने अपने संबोधन में बताया कि वरिष्ठ पत्रकार के. आर. मलकानी के साथ उनका बहुत लंबा संबंध रहा है। जब मलकानी आपात काल के दौरान जेल में रहे तो वह स्वयं भी उनके साथ 19 महीने जेल में रहे। उन्होंने अपने संबोधन के दौरान “मीडिया एंड अकाउंटेबिल्टी” पर चर्चा करते हुए कहा कि यह वास्तव में गहन चर्चा का विषय है। समारोह के विशिष्ट अतिथि, इंटीग्रल ह्यूमेनिज्म के आर एंड डी फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ महेश चंद्र शर्मा ने के. आर. मलकानी के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मलकानी की पत्रकारिता राष्ट्रीय की परिचायक रही है।

– जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आम नागरिकों को है वही मीडिया को है
सेमिनार के मुख्य वक्ता, प्रसार भारती बोर्ड के सदस्य अशोक कुमार टंडन ने के. आर. मलकानी के लेखों के उदाहरणों द्वारा पत्रकारिता के मानदंडों पर प्रकाश डाला। उन्होंने मीडिया की स्वतंत्रता की व्याख्या करते हुए बताया कि भारतीय संविधान की धारा 19 (1) के अंतर्गत जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आम नागरिकों को है वही मीडिया को है। उन्होंने विभिन्न अदालती निर्णयों की चर्चा करते हुए कहा कि मीडिया को स्व-नियंत्रण की जरूरत है। सेमिनार के शुरू में दिल्ली स्कूल ऑफ  जर्नलिज़्म के निदेशक प्रो. जय प्रकाश दुबे ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम के अंत में डीयू के रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments