- सांसद मनोज तिवारी ने विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर 30 हजार पौधे लगाने के अभियान का शुभारंभ किया
- जीवन की रक्षा करने के लिए प्रकृति में हर वह सुविधा मौजूद है जिसकी हमारे जीवन को नितांत आवश्यकता है
- हम सबको मिलकर प्रकृति के संरक्षण के लिए काम करना चाहिए क्योंकि प्रकृति हमारे जीवन के लिए वरदान है
- पर्यावरण का मतलब केवल पेड़-पौधे लगाना ही नहीं है, बल्कि भूमि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण व ध्वनि प्रदूषण को भी रोकना है
नई दिल्ली : भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने आज मंगलवार को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के अवसर पर शाहदरा उत्तरी क्षेत्र में 30 हजार पौधे लगाने के अभियान का शुभारंभ किया। यह पौधे पूर्वी दिल्ली नगर निगम द्वारा शाहदरा उत्तरी क्षेत्र में स्थित निगम के पार्कों में लगाए जायेंगे। सांसद तिवारी ने पौधे लगाकर शाहदरा स्थित झील पार्क से अभियान का शुभारंभ किया। इस अवसर पर पूर्वी दिल्ली नगर निगम स्थाई समिति के अध्यक्ष सत्यपाल सिंह, नेता सदन प्रवेश शर्मा, शाहदरा उत्तरी क्षेत्र के उपायुक्त रनेन कुमार जिला अध्यक्ष कैलाश जैन, विधायक अजय महावर, जितेंद्र महाजन, भाजपा नेता हर्ष मल्होत्रा, मनोज त्यागी, उदय कौशिक जोन चेयरमैन के के अग्रवाल, निगम पार्षद अजय शर्मा, दुर्गेश तिवारी, मीडिया विभाग के प्रदेश सह प्रमुख आनंद त्रिवेदी सहित निगम के उद्यान विभाग के निदेशक नरपत सिंह सहित कई अधिकारी मौजूद रहे।
अभियान का शुभारंभ करने के बाद सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि हमारा जीवन सृष्टि का आधार है तो इस जीवन की रक्षा करने के लिए प्रकृति में हर वह सुविधा मौजूद है जिसकी हमारे जीवन को नितांत आवश्यकता है और विकास की दौड़ में जब जब हमने प्रकृति की व्यवस्था से छेड़छाड़ की है। प्राणी समाज को कई गंभीर परिणाम भुगतने पड़े हैं, इसलिए हम सबको मिलकर प्रकृति के संरक्षण के लिए काम करना चाहिए उन्होंने कहा प्रकृति हमारे जीवन के लिए वरदान है, लेकिन प्रकृति के अस्तित्व के साथ खिलवाड़ जीवन के अस्तित्व के लिए बड़ी मुसीबत भी खड़ी कर सकता है इसलिए हमें विकास योजनाएं भी प्रकृति के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए बनानी चाहिए।
सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण हर लिहाज से जरूरी है। विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के मौके पर इस संदेश को समझना बहुत जरूरी है। दुनिया भर में लोगों को प्रकृति के उन पहलुओं के प्रति जागरूक करना जिन्हें हमें जानने, समझने और उसके प्रति सजग होने की जरूरत होती है। प्रकृति और पर्यावरण के प्रति दिल्ली सरकार और लोगों की बढ़ती लापरवाही के कारण पर्यावरण संतुलन नहीं बन पा रहा है। वाहनों की हर रोज बढ़ती संख्या और लोगों द्वारा पॉलिथीन के बढ़ते प्रयोग से पर्यावरण असंतुलन की स्थिति पैदा हो रही है। पर्यावरण का मतलब केवल पेड़-पौधे लगाना ही नहीं है, बल्कि भूमि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण व ध्वनि प्रदूषण को भी रोकना है। प्रकृति संरक्षण और पर्यावरण की रक्षा के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए।
सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि औद्योगिकीरण की वजह से उद्योगों की संख्या में वृद्धि हुई है जो नदियों को गंदा होने का कारण बनती जा रही है। ज्यादातर शहरों में उद्योगों के अपशिष्ट पदार्थों को नदियों और नहरों में बहा दिया जाता है। ऐसा करने से जल में रहने वाले जीव-जन्तुओं व पौधों पर तो बुरा प्रभाव पड़ता ही है साथ ही पानी भी पीने योग्य नहीं रहता और प्रदूषित हो जाता है। नदी के तट पर ही लोगों के नहाने, कपड़े धोने, पशुओं को नहलाने बर्तन-साफ करने जैसी गतिविधियां भी गंगा को प्रदूषित करने का कारण बनी हैं। नदियों के प्रति धार्मिक आस्था भी उसके प्रदूषित होने का कारण बनी है। नदियों में लोग पूजा से संबंधित सामग्रियों को गंगा नदी में बहा देते है। आस्था के नाम पर बहाई गई इस प्रकार की सामग्री नदियों को प्रदूषित करने का कारण बनती जा रही है। शहरों के घरों से निकलनेवाला सीवेज वेस्ट का भार भी देश की प्रमुख नदियों को उठाना पड़ रहा है जो उसकी गंदलाते स्वरुप की एक अहम वजह पिछले कई सालों से बना हुआ है। यह भी प्रकृति और पर्यावरण सरंक्षण में बड़ी बाधा है जिस पर रोक सिर्फ जागरूकता से ही संभव है।