- दिल्ली सरकार का तुगलकी फरमान बहुत ही अमानवीय है जिसका कोई तर्क नहीं है
- जब देश अनलॉक हो रहा है तब अरविंद केजरीवाल दिल्ली की सीमाओं को सील कर रहे हैं और कारण यह दे रहे हैं कि अन्य राज्य के लोग इलाज करवाने के लिए दिल्ली न आ सके
- दिल्ली सरकार जवाब दें कि 22 मार्च से लेकर आज तक विज्ञापनों में कितने रुपए खर्च किए गए हैं और अस्पतालों में बेड और वेंटिलेटर के लिए कितने खर्च किए
- दिल्ली सरकार ने जिलाधिकारियों को यह आदेश दिया जाता है कि वह जिलों में कब्रिस्तान और श्मशान के लिए नई जगह को ढूंढे, अगर इतनी मौतें ही नहीं हुई तो उनके लिए कब्रिस्तान और श्मशान की नई जगह ढूंढने की क्या जरूरत है
- दिल्ली के एमसीडी अस्पतालों को कोरोना मरीजों के इलाज के लिए व कम्युनिटी हॉल को क्वारंटीन सेंटर के रूप में प्रयोग करने का प्रस्ताव
नई दिल्ली : दिल्ली भाजपा पूर्व अध्यक्ष व सांसद मनोज तिवारी ने कोरोना संकट के समय में दिल्ली सरकार द्वारा निकाले गए तुगलकी फरमानों को लेकर दिल्ली सरकार पर निशाना साधा। तिवारी ने दिल्ली के लोगों के हितों में कई सवाल पूछे। तिवारी ने दिल्ली के एमसीडी अस्पतालों को कोरोना मरीजों के इलाज के लिए व कम्युनिटी हॉल को क्वारंटीन सेंटर के रूप में प्रयोग करने का भी प्रस्ताव दिया। मनोज तिवारी ने कहा कि संकट समय में भी मुख्यमंत्री केजरीवाल का तुगलकी फरमान आया है कि एक हफ्ते तक दिल्ली की सारी सीमाएं सील रहेंगी। हैरानी की बात तो यह है कि जब दिल्ली को बचाने की जरूरत थी तब दिल्ली की सीमाएं सील नहीं की गई जबकि तब केजरीवाल सरकार अन्य राज्यों की सरकारों से लड़ रही थी कि उन्होंने अपने राज्यों की सीमाएं क्यों सील कर ली है। अब जब देश अनलॉक हो रहा है तब अरविंद केजरीवाल दिल्ली की सीमाओं को सील कर रहे हैं और कारण यह दे रहे हैं कि अन्य राज्य के लोग इलाज करवाने के लिए दिल्ली न आ सके। यह तुगलकी फरमान बहुत ही अमानवीय है जिसका कोई तर्क नहीं है। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश एवं अन्य राज्य के लोग अपने अपने राज्य में सुरक्षित है और वर्तमान में दिल्ली की स्थिति को देखते हुए वह वैसे भी दिल्ली आने से डर रहे हैं।
तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल का यह तुगलकी फरमान संविधान का भी उल्लंघन है लेकिन उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं है। पहले भी उन्होंने जीटीबी अस्पताल को लेकर यह प्रावधान किया था कि वहां सिर्फ दिल्ली के लोग ही इलाज करवा सकते लेकिन एक एनजीओ द्वारा कोर्ट में चैलेंज करने पर केजरीवाल ने अपने इस आदेश को वापस ले लिया था। अचानक से दिल्ली सरकार का यह भी निर्देश आता है कि दिल्ली के लोग होम क्वॉरेंटाइन में रहें और शाम तक यह कहते हैं कि होटल में रह सकते हैं जिसके लिए 3000-4000 रुपए भी निर्धारित किए जाते हैं। पहले केजरीवाल कहते हैं कि उनके पास 30,000 बेड के इंतजाम है लेकिन कोर्ट में पता चलता है कि 3150 बेड हैं। दिल्ली के लोगों के साथ-साथ कोरोना वॉरियर्स को भी इलाज के लिए बेड नहीं मिल रहे हैं जिसके कारण उनकी मृत्यु भी हो रही है। फ्री इलाज मुहैया करवाने का वादा करने वाले केजरीवाल लोगों को निजी अस्पतालों में जाकर इलाज करवाने की सलाह दे रहे हैं जहां इलाज करवाने के लिए 5-15 लाख रुपए तक जमा करवाने होते है।
तिवारी ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने मृतकों और एक्टिव मामलों के आंकड़ों को छुपाया जिसका परिणाम है अब दिल्ली एक हजार से ज्यादा संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं। एक ओर केजरीवाल कह रहे हैं कि वह मृत्यु के सही आंकड़े दे रहे हैं लेकिन दूसरी ओर जिलाधिकारियों को यह आदेश दिया जाता है कि वह जिलों में कब्रिस्तान और श्मशान के लिए नई जगह को ढूंढे। अगर इतनी मौतें ही नहीं हुई तो उनके लिए कब्रिस्तान और श्मशान की नई जगह ढूंढने की क्या जरूरत है? तिवारी ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से राशन मुहैया करवाने के बाद भी दिल्ली सरकार ने गरीब जरूरतमंद व मजदूरों को राशन से वंचित रखा और उन्हें दिल्ली से पलायन करने पर मजबूर कर दिया। दिल्ली सरकार ने ई-कूपन धारकों को भी राशन नहीं दिया। भीषण गर्मी में भी दिल्ली में लोगों को पीने के लिए साफ पानी नहीं है। केजरीवाल सरकार के पास विज्ञापन देने के लिए पैसे हैं लेकिन वेतन देने के लिए पैसे नहीं है और इन्हीं असफलताओं को छुपाने के लिए दिल्ली सरकार केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर 5000 करोड़ रुपए की मांग कर रही है। मैंने मुख्यमंत्री केजरीवाल से कई बार यह सवाल पूछा है लेकिन एक बार फिर मैं इसे दोहरा रहा हूं कि दिल्ली सरकार जवाब दें कि 22 मार्च से लेकर आज तक विज्ञापनों में कितने रुपए खर्च किए गए हैं और अस्पतालों में बेड और वेंटिलेटर के लिए कितने खर्च किए? केजरीवाल जी इस कोरोना संकट के समय अपनी साख नहीं दिल्ली के प्राण बचाएं।
तिवारी ने कहा कि हमारा दिल्ली सरकार को यह प्रस्ताव है कि वह एमसीडी के बेड युक्त अस्पतालों को भी कोरोना मरीजों के इलाज में उपयोग कीजिए, कम्युनिटी हॉल को क्वारंटीन सेंटर के रूप में प्रयोग कीजिए। कोरोना संकट से निपटने के लिए हमें साथ मिलकर काम करना होगा तभी हम दिल्ली के लोगों को सुरक्षित रखने में सफल हो पाएंगे। उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा कि कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न हुई समस्याओं के बीच केजरीवाल तुगलकी फरमान निकाल कर दिल्ली के लोगों को क्यों परेशान कर रहे हैं? 60,000 करोड़ रुपए दिल्ली के हित में कहां और कैसे खर्च हो रहे हैं इसे लेकर दिल्ली सरकार को एक पत्र जारी करना चाहिए। यह समय लोगों को बचाने का है न कि तुगलकी फरमान निकाल कर दिल्ली-एनसीआर में रह रहे लोगों के साथ ज्यादती करने का। मेरा आपसे निवेदन है कि इन सारे सवालों का अब दिल्ली के लोगों को जवाब दें क्योंकि दिल्ली के लोगों को इस समय राहत की जरूरत है सजा की नहीं।